उठ
चल
चल दे अभी
मंजिल की ओर
बढ़ा कदम
थकना नहीं
रुकना नहीं।
अम्बर को देख
उड़ने की सोच
पंखों को खोल
उड़ जा अभी
डरना नहीं
गिरना नहीं।
मुश्किलों से लड़
सामना कर
बाधा को अब तू
पार कर
सहना नहीं
बहना नहीं।
अपनी ताकत
खुद बन जा
अपनी हिम्मत
खुद से जुटा
संकल्प सा
गहना नहीं।
मंजिल को पा
तू सिद्ध कर
असंभव यहाँ
कुछ भी नहीं।
उठ, चल
चल दे अभी
थकना नहीं
रुकना नहीं।
©Arachna / मध्यप्रदेश
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