मैं

मैं नयी उम्मीद लाती हूँ. हर नए दिन के साथ मैं ही ख्वाबो के तोहफे भेजती हूँ. अँधेरी रातों के हाथ

दुनिया के हर सुर में, मेरा ही तराना है. दुनिया कि हर शै में, मेरा ही फ़साना हैं

आपका हर सुकून, मेरी मुस्कान में खिलता हैं आपका हर गम, मेरी आँसूओं में ढलता हैं

कभी तनहाई मे आप जो सोचो कि मैं नहीं हूँ, कही नही हूँ तो जरा अपने दिल से पूछिये मैं वही हूँ… वही कही हूँ..

खुद को भी जो खुदा बना दे, मैं वो बंदगी हूँ क्योंकि मैं.. मैं तो खुद जिन्दगी हूँ…..

© Name – Nishita shukla
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Note - उपरोक्त रचना copyright के तहत् सर्वाधिककार सुरक्षित है, इस रचना का प्रयोग अर्चना जी की अनुमति के बिना कहीं नहीं किया जा सकता है। 

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