शाम ढलने को हो रही थी
धुंधला चाँद मेरे पास आ रहा था
अकेले राह पर चल पड़ा था
रौनक ढूंढने बेपरवाह निकल चला था
कहा थी डगर मेरी खबर नहीं थी
अनजाना अफसाना पता नहीं था
तुमको पाने की ख्वाहिश अंदर दबी थी
एक रात बैठूंगा तुझ संग यही अरमान बचा था
सफर मेरा गुमनाम मंजर बन रहा था
तामीर नहीं कोई उदासी का घर रह गया था
तेरे इश्क की आज़माइश करनी थी
आंधी में तेरा आंचल ही सहारा देने वाला था
©Vani Takawane