पक्षपात, भेदभाव ये सिर्फ सब्द है?
निश्चित रूप से नहीं…. इसमे करोडों की आंसू, दर्द, तकलीफ, जुड़ा है.इस दुनिया की हर कोने मैं कोई ना कोई पक्षपात का शिकार हो रहा है.वैसे तो पक्षपात सभी खेत्रोंमैं होती है. मैं बस कुछ ही विचार – विमर्श करुँगी.
विद्यालय, शैक्षणिक संस्थान मैं बच्चों के साथ पक्षपात होता है. जो बच्चे अच्छे पढ़ते हैं या फिर सिखयक मखन लगाना जानते हो वो बच्चेही सबके आदर्श छात्र होते है. फिर मध्यम, निम्न मानक बच्चों का क्या?किसी छात्र को उसके अंकों से मत आंकिए.प्रत्येक बच्चे में एक अद्वितीय व्यक्तित्व, अद्वितीय प्रतिभा होती है। फिर ये पक्षपात क्यों?
अब कुछ पक्षपात आरक्षण और जाती के तरफ.
माना की डॉ.भीमराव रामजी आम्बेडकर के समय पैर भेदभाव था और आरक्षण भी सही था. लेकिन क्या अब आरक्षण जरुरी है? सरकार उनकी सहायता करना चाहती है करें जिनको आर्थिक सहायता की जरुरत है उन्हें करें पर ये हर चीज़ मैं आरक्षण क्यों? कोई भी परीक्षा या नौकरी हो सिर्फ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, शारीरिक विकलांग, अन्य पिछड़ी जाति के लिए ही है क्या सामान्य जाति के लिए कुछ नहीं? क्या वो लोग लोग नहीं है?
चलो लिंग के बारे में बात करते हैं.
हाला की अभी देश बदल चूका है फिर भी कहीं न कंही लड़का लड़की मैं पक्षपात है. कोई भी लड़की कमज़ोर नहीं होती आप की सोच कमज़ोर हैं वो अलग बात हैं. लड़कियोंको आरक्षण नहीं इज़्ज़त चाहिए. हर वो सन्मान प्यार चाहिए जिसकी वो हक़दार है.
फिर भी लोग बोलतें है समानता है?
©Sk mohanty