क्या उन खिड़कियों को बंद कर दु जिनसे हमारे घर मे ताका झांकी होती है
क्या उन दरवाजो को खोल दु जहा से खुशियाँ अंदर आती है
क्या उन लाइटों को को चालू कर दु जिनसे हमारे जीवन मे उम्मीद की किरण का आयगी
ख्वाहिशों की बौछार करने वाले पंखे को भी जरा चला दु
छत के वो पौधे जो इंतज़ार कर रहे है उनको भी जरा जमा दु
ओर जो कुछ पूरी तरह खिल गए उन्हें कृष्णा के चरणों मे सजा दु
चलो अब घर के उन को कमरे को थोड़ा ठीक कर दु
चलो आज उस घर को आशियाना बना दु
✍️आपकी कवयित्री🌼