वक्त

हर वक्त वक्त की बात
सब कुछ नही होता हाथ है।
हर वक्त यह वक्त बदलता रहता है।
यह रथ का वह पहिया है,जो हर वक्त घूमता रहता है

कभी वक्त का मिलता साथ है।
किसी वक्त पर वक्त ही छोड देता हाथ है।
हर वक्त यह वक्त बदलता रहता है।
यह रथ का वह पहिया है,जो हर वक्त घूमता रहता है।

यह वक्त ही तो खास है जो आज हमारे पास है।
हर वक्त की रवानी है,हर वक्त कोई कहानी है।
कभी खामोशी की परछाई है,कभी बेबाक इसकी जुबानी है।

यह वक्त देखो रेतबन फिसल रहा है।
कभी मोम सा पिघल रहा है।
हर वक्त यह वक्त एक आगाज़ है।
हर वक्त वक्त में छिपा कोई राज़ है।

हर वक्त वक्त की कीमत है।
चाहे हो आँखे नम और दिल में छिपा हो ग़म
हर वक्त वक्त का सम्मान है।
कभी चेहरे पर बिखरी सुनहरी मुस्कान है।

यह वक्त है, यह वक्त है।
कभी नर्म, कभी बेहद सख़्त है।
जैसे नसों में बहता रक्त है।
कभी अव्यक्त, कभी व्यक्त है।

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